Saturday, May 18, 2024
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जिला प्रशासन के संरक्षण में मानकों को ताक पर रख चल रहे स्कूली वाहन

2017.03.01.3 ssp school student vanकानपुर, जन सामना संवाददाता। एटा में स्कूली बस पलटने से कई बच्चों की जान चली गयी थी। हादसे के बाद हमेशा की तरह प्रशासन की नींद टूटी लेकिन जल्द ही प्रशासन फिर सो गया। बच्चों के प्रति स्कूल प्रबंधन और जिला प्रशासन संवेदनशील नही है। नतीजा यह कि एक बार फिर बीते सोमवार को हुए हादसे कई बच्चों की जान पर आफत आती दिखी। कानपुर के ककवन में स्कूली बस पलट गयी थी जिसमें लगभग दो दर्जन बच्चे सवार थे। ककवन में हुए हादसे में बस चालक की ही लापरवाही सामने आ रही है। अब सवाल यह उठता है कि आखिर क्यों यह बस चालक बस चलाने में पूरी तरह निपुण होते भी या नहीं। चालक को रखने से पहले केवल इनके लाइसेंस को ही देखा जाता है या यह भी परखा जाता है कि इन्हे बस चलानी भी आती है या नहीं। फिलहाल कुछ भी हो लेकिन स्कूल प्रबंधन की लापरवाही के कारण आये दिन ऐसे हादसे सामने आते है, इसमें नन्हे-मुन्नो की जान हमेशा खतरे में बनी रहती है। पिछले हुए हादसे के बाद कुछ समय के लिए सख्ती की गयी थी लेकिन समय बीतने के बाद फिर सबकुछ वैसा ही हो गया। टैम्पो, रिक्शा, ई-रिक्शा, ऑटो आदि में बच्चो को लापरवाही से बैठाया जाता है, लेकिन प्रशासन द्वारा इस तरफ से ध्यान हटा लिया गया, नतीजा कि बच्चो के अभिभावक अब चिंतित है, जो एक गंभीर विषय बन चुका है। परिवहन विभाग के आंकडों के हिसाब से शहर में स्कूली बच्चों को ले जाने के लिए 1700 ऐसे वाहन है जो बिना परमिट के है। बडी बात तो यह कि फरवरी माह में ही यातायात विभाग को ऐसे अवैध वाहनो पर नजर रखने व बिना परमिट दौड रहे वाहनो को सीज करने का आदेश दिया गया था। इसी माह लगभग 350 स्कूली वाहनों की चेकिंग की गयी थी जिसमें दोषी पाए गए चालकों से 22 हजार रू0 शमनशुल्क वसूला गया था। अब तक 17 स्कूली बसों को सीज किया गया है जबकि एसपी ट्रैफिक ने सभी स्कूलों को पत्र लिखकर वाहनों का ब्यौरा मांगा है साथ ही चालकों का संबधित थाने से सत्यापन व निजी वाहनो से आने वाले बच्चों की सूची भी मांगी है।
लेकिन यह कटु सत्य है कि शहर में स्कूलों वाहनों में नियमों को ताक पर रखने में जिला प्रशासन पूरी तरह से सहयोग कर रहा है। इसी लिए स्कूल संचालकों व वाहन स्वामियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं करता है।